कोई तन देखे, कोई कपड़ा
कोई मन देखे, कोई मुखड़ा
मिनीस्कर्ट-हाई हील से, मचा हुआ बवाल है
ज़नाब ! ये नज़र नहीं, नज़रिये का सवाल है ||
कोई ख़्वाब देखे, कोई हक़ीक़त
कोई भाव देखे, कोई क़ीमत
सम्बंधों के मायाजाल से, मचा हुआ बवाल है
ज़नाब ! ये नज़र नहीं, नज़रिये का सवाल है ||
कोई इन्सां देखे, कोई जाती
कोई हुनर देखे, कोई ख्याति
जाति-धर्म के जंजाल से, मचा हुआ बवाल है
ज़नाब ! ये नज़र नहीं, नज़रिये का सवाल है ||
कोई पथ देखे, कोई मंजिल
कोई गहरायी देखे, कोई साहिल
ज़िंदगी की उठा-पटक से, मचा हुआ बवाल है
ज़नाब ! ये नज़र नहीं, नज़रिये का सवाल है ||
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