पतझड़ बीता, सावन बीता
ना आया कोई, सन्देश पिया जी
पल-पल बीते , बरस के जैसे
जब से गए हैं, परदेस पिया जी
रंगो के बिन, होली बीती
दिया बिना ही, सजी दिवाली
पूनम की रात, भी ऐसे बीती
जैसे रात, घनेरी काली-काली
साज-श्रृंगार से, मोह भंग अब
फैले काजल, केश पिया जी
पल-पल बीते , बरस के जैसे
जब से गए हैं, परदेस पिया जी
सावन भादो, बरस के बीता
जल-तप कर , बीता बैशाख
घर की रेज़कारी छोड़ पिया जी
गए कमाने रुपये लाख
व्याकुल मन, चंचल चितवन
है बाट देखते रोज़ पिया जी
पल-पल बीते, बरस के जैसे
जब से गए हैं परदेस पिया जी
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