Friday, March 15, 2019

हमको जब से इश्क़ हुआ है

हमको जब से इश्क़ हुआ है, खामोश  लब भी कुछ कहने लगे हैं
धड़कनो की भी है रफ़्तार बदली, भीड़ में हम अकेले रहने लगे हैं
बेवज़ह ही मुस्कुराना, ऐसी तो थी कोई आदत नहीं
बातो बातों में खो जाना, ऐसी भी कोई फितरत नहीं
दिल संभाले भी न संभले,  ख्याल-ए -आशिकी में हम बहने लगे हैं
हमको जब से इश्क़ हुआ है, खामोश  लब भी कुछ कहने लगे हैं
चाँद पहले भी था निकलता, पर देखने की थी फुर्सत नहीं
चांदनी आकर जगाये, थी ऐसी भी कोई हसरत नहीं
वक़्त गुजारे नहीं गुजरता, जब से इंतज़ार तुम्हारा हम करने लगे हैं
हमको जब से इश्क़ हुआ है, खामोश लब भी कुछ कहने लगे हैं
मज़मा-ए-आम देखे बहुत, पर तसव्वुर में था कोई चेहरा नहीं
ख्याल-ए -आशिकी में हम बहकने लगे है
तुम तसव्वुर हो या हक़ीक़त, हम तो तस्वीर पर ही मिटने लगे है 

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