Monday, August 26, 2019

तन्हाई

फिर से कलम उठाया मैंने, शायद, याद तुम्हारी आयी है 
सब कुछ पहले जैसा है,  अब बस थोड़ी तन्हाई है 

सुबह के शोर में शामिल सब, बस एक तेरी आवाज़ नहीं 
चाय की प्याली के चुस्की में, अब पहले जैसा स्वाद नहीं 

सारा जग है , अब पास मेरे , फिर भी कुछ खोया लगता है 
मुस्काता चेहरा भी दर्पण में , अब कुछ रोया रोया लगता है 

अपने दिल की जागीर हार, वो तुम्हे जीतने आयी है  
सब कुछ पहले जैसा है,  अब बस  थोड़ी तन्हाई है 

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