कुछ भी न मिला इश्क़ में, दर्द-ए-ग़म के सिवा
उसको भी मुझसे इश्क़ था, इस भ्रम के सिवा
थी मुहब्बत से गुलजार कभी मेरे दिल की धड़कनें
मंजर ये कि अब कुछ भी नहीं वहां ख़ामोशियों के सिवा
था हाथों में हाथ इस कदर कि कभी साथ ना छूटे
साथ छूटा तो बचा कुछ नहीं बस लकीरों के सिवा
बेख़याली में यादें ढूंढती है अब भी उस इमारत का पता
था कभी जो घर मेरा अब कुछ नहीं ईंट पत्थर के सिवा
जी नहीं पाएंगे उस बिन ऐसे अभी हालात नहीं
बस दिल को कोइ रास आया नहीं उस के सिवा
कुछ भी न मिला इश्क़ में, दर्द-ए-ग़म के सिवा
उसको भी मुझसे इश्क़ था, इस वहम के सिवा
उसको भी मुझसे इश्क़ था, इस भ्रम के सिवा
थी मुहब्बत से गुलजार कभी मेरे दिल की धड़कनें
मंजर ये कि अब कुछ भी नहीं वहां ख़ामोशियों के सिवा
था हाथों में हाथ इस कदर कि कभी साथ ना छूटे
साथ छूटा तो बचा कुछ नहीं बस लकीरों के सिवा
बेख़याली में यादें ढूंढती है अब भी उस इमारत का पता
था कभी जो घर मेरा अब कुछ नहीं ईंट पत्थर के सिवा
जी नहीं पाएंगे उस बिन ऐसे अभी हालात नहीं
बस दिल को कोइ रास आया नहीं उस के सिवा
कुछ भी न मिला इश्क़ में, दर्द-ए-ग़म के सिवा
उसको भी मुझसे इश्क़ था, इस वहम के सिवा
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