पुलवामा के शहीदों के शव, जिस गली से भी गुजरे हैं
कृतज्ञ राष्ट्र के आंसूं वहां, मोती बन कर बिखरे हैं
इस कायराना हरकत को, कैसे खुदा भी माफ़ करेगा
भगवान करे न करे, हिंदुस्तान ज़रूर इन्साफ करेगा
पर पहले पोंछ लें हम , बहते आँसूं उन माँओं के
कश्मीर रंग गया लहू से , जिनके ललनाओं के
दे थोड़ा ढाँढस उस नववधू को, वतन-समर्पित जिसका सुहाग
थोड़ा दुलार उस किलकारी को, जो कर रही अब विलाप
थोड़ी हिम्मत उस पिता को भी, जिसकी आँखे पथराई हैं
थोड़ा धैर्य उस बहन को भी , जिसका शहीद हुआ भाई है
फिर कायरों को भी देखेंगे, बच कर कहाँ वो जायेगा
भारत-वीरों का बलिदान, इस बार व्यर्थ ना जायेगा
कृतज्ञ राष्ट्र के आंसूं वहां, मोती बन कर बिखरे हैं
इस कायराना हरकत को, कैसे खुदा भी माफ़ करेगा
भगवान करे न करे, हिंदुस्तान ज़रूर इन्साफ करेगा
पर पहले पोंछ लें हम , बहते आँसूं उन माँओं के
कश्मीर रंग गया लहू से , जिनके ललनाओं के
दे थोड़ा ढाँढस उस नववधू को, वतन-समर्पित जिसका सुहाग
थोड़ा दुलार उस किलकारी को, जो कर रही अब विलाप
थोड़ी हिम्मत उस पिता को भी, जिसकी आँखे पथराई हैं
थोड़ा धैर्य उस बहन को भी , जिसका शहीद हुआ भाई है
फिर कायरों को भी देखेंगे, बच कर कहाँ वो जायेगा
भारत-वीरों का बलिदान, इस बार व्यर्थ ना जायेगा
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