जाने क्यूँ तुझसे.., प्रेम किया बंजारे
कैसा रोग, तुम्हे लागा अनुरागी
जो तुम बन बैठे बैरागी
राहें तक तक तेरी रसिया
नैना थक गए कारे कारे
जाने क्यूँ , तुझसे, प्रेम किया बंजारे ||
सावन भी सूखा लागे मोहे
हरियाली ना मन को सोहे
कोयल की कूक भी शोर लगे है,
अब तो मुझको सांझ सबेरे
जाने क्यूँ तुझसे, प्रेम किया बंजारे ||
सखी-सहेलियों से भी, रास नहीं अब
सभी पराये, कोई ख़ास नहीं अब
बिन जल मछली जैसा जीवन
नैनो से बहते, बस पानी खारे
जाने क्यूँ तुझसे.., प्रेम किया बंजारे ||
प्रेम पाश से बांध के मुझको
कौन गली तुम चले गए
विरह-अग्नि से मुझे बचाने
अब तो आ जाओ, प्रियतम-प्यारे
जाने क्यूँ तुझसे.., प्रेम किया बंजारे ||
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