कविराज आपके जाने से, भारतवर्ष शोकाकुल है !
हर एक ह्रदय व्यतिथ और, हर मन थोड़ा व्याकुल है !!
हर एक ह्रदय व्यतिथ और, हर मन थोड़ा व्याकुल है !!
औरंगज़ेब सी राजनीति में, तुम्हीं तो एक अपवाद सा थे !
मूक-बधिर इस प्रजातंत्र में, जनमानस का संवाद भी थे !!
मूक-बधिर इस प्रजातंत्र में, जनमानस का संवाद भी थे !!
ये व्याप्त तुम्हारा तेज़ ही था, जिस से रौशन ये कमल खिले !
अमावस्या के अँधियारे में, तुम बन कर दीपक ज्योति जले !!
अमावस्या के अँधियारे में, तुम बन कर दीपक ज्योति जले !!
कविराज आपके जाने से, छायी घोर निराशा है !
फिर से लौट के आना तुम ! जनमानस को बड़ी ये आशा है!!
फिर से लौट के आना तुम ! जनमानस को बड़ी ये आशा है!!
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