Wednesday, September 19, 2018

युद्द्ध के विरुद्ध

माना  युद्ध में  कुर्बान, वो योद्धा  भी कमाल था
वीर था, वो धीर था, मातृभूमि का लाल था !

पर युद्ध के विध्वंस से, भला कब  मिली हैं शांति
रक्त से रंगी हुयी बस हार -जीत की भ्रान्ति

युद्ध छीन लेता है, अमन, चैन और प्यार
कितनो का बचपन और कितनो का घर संसार

संस्कृति का अंत भी हो जाता है रण में
दीनता और लाचारी बस जाती हर कण में

फिर जय-विजय का सुख, भला युद्ध से ही क्यों मिले
आओ मार्ग ढूंढें वो जिससे सभी को  सुख मिले

सार्थक प्रयास हो और न कोई पश्चाताप हो
दो गज जमीन के लिए, न अब कोई रक्तपात हो

बहुत दी कुर्बानियां, बने सभी प्रबुद्ध अब
आओ मिल खड़े हो हम, युद्ध के विरुद्ध सब

जो रणक्षेत्र में गिरा , हर उस बूँद का रंग लाल था
देश पे कुर्बान वो लाल भी कमाल था 

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