एक ख़त भेजा है तुमको,
जो फुर्सत हो तो पढ़ लेना |
गर सूरत याद नहीं तुमको ,
गर सूरत याद नहीं तुमको ,
तो दिल में मूरत कोई गढ़ लेना ||
सहेज कर रखा है मैंने,
सहेज कर रखा है मैंने,
बीते कल की यादों को |
बयां कर रखा है खत में,
बयां कर रखा है खत में,
बीते पल के बातों को ||
फैसला दूर होने का ,
थी मज़बूरी या मेरी किस्मत |
वजह मालूम नहीं हमको ,
वजह मालूम नहीं हमको ,
की क्यों लेनी पड़ी रुख़्सत ||
ख़त की हर इक पाती में ,
मिली मेरे अश्रु की स्याही है |
लिखी हर दास्ताँ इसमें,
लिखी हर दास्ताँ इसमें,
मेरे ज़ज्बातों से नहायी है ||
शुक्रिया कहना था तुमको,
हर उस बात की खातिर |
हर उस लम्हे की खातिर ,
हर उस लम्हे की खातिर ,
जिया जिसको समझ आखिर ||
कभी मेरी याद आये तो,
अपने दिल से खबर लेना |
एक खत भेजा है तुमको,
एक खत भेजा है तुमको,
जो फुर्सत हो तो पढ़ लेना ||
No comments:
Post a Comment