Monday, March 13, 2017

विश्वास


है ये वक़्त की नज़ाकत, या फिर फ़िज़ा की गुजारिश
कुछ कदम अब तेज़ तो चलना पड़ेगा
हिमालय शिखर से भी ऊपर उड़ कर
आसमा का किनारा पकड़ना पड़ेगा
जो गर्दिश में हैं तारे, उन्हें गर्दिश में ही रहने दो
एक खुद का सितारा चमकाएंगे  हम !!
है ज़ज़्बा  इतना कि , देखना तुम एक दिन
पानी में भी  आग लगाएंगे हम !!

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