वो एक उलझी पहेली था ,
जिसे हम सुलझा, नहीं पाए |
मोहब्बत हमने भी की थी ,
पर उसे कभी बतला नहीं पाए |
दिलों के द्वन्द की बाजी ,
न वो जीता न मैं हारी |
बस जुबा की ख़ामोशी पड़ गई ,
दिलों के शोर पर भारी |
वो मधुर एहसास जिन्दा है,
की अब तक सांस नहीं छूटी |
वो किसी मोड़ पर मिल जाये
ये दिल की आस नहीं टूटी ||
जिसे हम सुलझा, नहीं पाए |
मोहब्बत हमने भी की थी ,
पर उसे कभी बतला नहीं पाए |
दिलों के द्वन्द की बाजी ,
न वो जीता न मैं हारी |
बस जुबा की ख़ामोशी पड़ गई ,
दिलों के शोर पर भारी |
वो मधुर एहसास जिन्दा है,
की अब तक सांस नहीं छूटी |
वो किसी मोड़ पर मिल जाये
ये दिल की आस नहीं टूटी ||
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