हमे उम्मीद न थी , आप इस कदर पेश आयेंगे ।
ज़रा सी बात पर, इतना दिल दुखायेंगे ॥
कौन सा हमने आपसे , आपका जहां माँगा ।
हमने तो सिर्फ अपनी ही ज़मी - आसमा माँगा ॥
ये इल्तेज़ा थी कि , पंखो को दे जगह उड़ने की ।
थोड़ी छोटी हो रही है, माप मेरे पिजड़े की ॥
कांच के टुकड़ो कि तरह, मेरा दिल बिखरायेंगे ।
हमे उम्मीद ना थी कि , आप इस कदर पेश आयेंगे ॥
साथ चलने और निभाने का ये कैसा सिलसिला ।
आधे रास्ते में आपके कदम , यूँ लड़खड़ाएंगे ।
हमे उम्मीद न थी आप इस क़दर पेश आयेंगे ॥
ज़रा सी बात पर, इतना दिल दुखायेंगे ॥
कौन सा हमने आपसे , आपका जहां माँगा ।
हमने तो सिर्फ अपनी ही ज़मी - आसमा माँगा ॥
ये इल्तेज़ा थी कि , पंखो को दे जगह उड़ने की ।
थोड़ी छोटी हो रही है, माप मेरे पिजड़े की ॥
कांच के टुकड़ो कि तरह, मेरा दिल बिखरायेंगे ।
हमे उम्मीद ना थी कि , आप इस कदर पेश आयेंगे ॥
साथ चलने और निभाने का ये कैसा सिलसिला ।
आधे रास्ते में आपके कदम , यूँ लड़खड़ाएंगे ।
हमे उम्मीद न थी आप इस क़दर पेश आयेंगे ॥
No comments:
Post a Comment