समय बड़ा बलवान है भैय्या , आज हुआ है ज्ञात ।
जाने कितने बरस बीत गए, बीती कितनी रात ॥
आज फिर एक बरस है बीता, छोड़ गया कुछ खट्टी -मीठी याद ।
रखूं संभाले इन यादों को, समझ कर जीवन -सौगात ॥
बाग़-वासंती ,ठण्ड की ठिठुरन और बिन मौसम बरसात ।
एक-एक ऋतु ऐसे बीती, जैसे कल की बात ॥
कुछ याराना, कुछ से घराना, कुछ दूर गए, कुछ रह गए संग ।
कुछ परिताप , कुछ संताप बन गए जीवन-प्रसंग ॥
नए वर्ष का करें हम स्वागत, मिल कर सबके साथ ।
साथ नहीं कुछ साथी अब , पर रहेगी उनकी याद ॥
-प्रियंका
जाने कितने बरस बीत गए, बीती कितनी रात ॥
आज फिर एक बरस है बीता, छोड़ गया कुछ खट्टी -मीठी याद ।
रखूं संभाले इन यादों को, समझ कर जीवन -सौगात ॥
बाग़-वासंती ,ठण्ड की ठिठुरन और बिन मौसम बरसात ।
एक-एक ऋतु ऐसे बीती, जैसे कल की बात ॥
कुछ याराना, कुछ से घराना, कुछ दूर गए, कुछ रह गए संग ।
कुछ परिताप , कुछ संताप बन गए जीवन-प्रसंग ॥
नए वर्ष का करें हम स्वागत, मिल कर सबके साथ ।
साथ नहीं कुछ साथी अब , पर रहेगी उनकी याद ॥
-प्रियंका
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