Tuesday, September 5, 2023

स्त्री हर काल में

जानकी से प्रेम का, प्रमाण राम मांगते 
कही सुनी को मान सच, अग्नि में हैं दाहते 
सीता के सम्मान की, ऐसी कैसी  रक्षा ये
कि खुद भगवान वैदेही को ही त्याग दे

राम के वचन को कृष्ण,  द्वापर में हैं तोड़ते 
नारी नहीं, नारियों संग रिश्ते को हैं जोड़ते
रुक्मिणी के होकर, कान्हा राधा को विचारते
और संग सत्यभामा, वन- उपवन निहारते 

पांडवों के तीर, कुंती- वचन  को ना काटते 
ब्याहता को पांच भ्रताओं के मध्य  बांटते 
ध्रुपद की कन्या , जैसे जीता हुआ राज्य कोई..
चौसर की चादर पे, जा द्रोपदी को  हारते

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