Monday, April 13, 2020

aaj ka dose

13-04-2020
रह - रह कर मेरी तन्हाइयों का सबब, तुम बनते रहे
कल आज कल हर वक़्त, दिल की हलचल बनते रहे
हज़ार कोशिशें जारी कि, तुमको भूल जाऊं मैं 
या ख्वाहिशें इस बात कि, तुम्हें फ़िर याद आऊ मैं
मैं तन्हा चलती रही, और तुम याद बन मिलते रहे
मैं समंदर सा सुकूं चाहूं, तुम तूफ़ान सा मचलते रहे
रह - रह कर मेरी तन्हाइयों का सबब, तुम बनते रहे
कल आज कल हर वक़्त, दिल की हलचल बनते रहे
14-04-2020
तू एक नज़र तो देख मुसाफ़िर, मैं सुबह- सहर, सी हो जाऊं
पढ़ आंखों को बस एक दफा, ग़ालिब की गज़ल मैं  कहलाऊं
तू एक कलम मैं स्याही सी, जो लिखे तू उसकी छाप बनूं
तू हो रौशन कुछ मुझमें ऐसा, मैं चांद सी रात आप बनूं
16-04-2020
मैं सुरमई शाम अवध की, तू भोर बनारस जैसा
मंझे से उलझी पतंग मैं, तू नीले अम्बर जैसा
मैं सुबह का शोर शराबा, तू सुकूं रात का बन जा
मरू की प्यासी धरा मैं, तू बन कर मेघ बरस जा 

17-04-2020
तू देख लफ्ज़ नहीं, ये तो मुस्कुराएंगे
पूछ तकिए से , ये हाल- ए - दिल सुनाएंगे
खारे पानी भरे आंखों में, मलाल एक
तू मेरा आज है या कल था, ये सवाल एक
कहीं फिर ना खो जाऊं उसी मोड़ पे
जहां कब के गए हो, तुम मुझे छोड़ के

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