Friday, April 26, 2019

सियासत

सियासत का सागर, समन्दर से भी खारा है
जहाँ सत्ता ही मोती है और संसद सहारा है | 

अक्ल के छन्नी लगा सुनना,  सियासतदान  की बातें 
 भला सियासत का पानी, कहाँ किसी की प्यास बुझाते | 

उम्मीद की  मथनी से मथना, सियासत के समंदर को 
अमृत मिल ही जायेगा, चाहे बिष जितना अंदर हो  | 


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