सियासत का सागर, समन्दर से भी खारा है
जहाँ सत्ता ही मोती है और संसद सहारा है |
अक्ल के छन्नी लगा सुनना, सियासतदान की बातें
भला सियासत का पानी, कहाँ किसी की प्यास बुझाते |
उम्मीद की मथनी से मथना, सियासत के समंदर को
अमृत मिल ही जायेगा, चाहे बिष जितना अंदर हो |
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