Wednesday, November 21, 2018

मंदिर-मस्जिद


चाँद-सितारे, धरती-अम्बर, 
ये सब जब उसकी रचना 
फिर मंदिर-मंदिर क्यों करना 
फिर मस्जिद-मस्जिद क्यों करना 

गाँव-गाँव या शहर-शहर 
जब हर दिल में, है खुदा का घर 
फिर बना के मंदिर-मस्जिद उसको 
दिल से बेघर क्यों करना 


यदि  मंदिर नहीं बना अवध में 
तो क्या राम की पूजा नहीं होगी 
जो अजान से ना गूंजे बाबरी 
तो क्या खुदा इनायत नहीं होगी 

जो नव-निर्माण का शौक है तुमको 
तो फिर राष्ट्र निर्माण करो 
गर कुछ खंडित ही करना  तुमको 
तो  फिर धर्म-भेद पर वार करो 

संगठित देश, संगठित राज्य 
सुन्दर समाज की करो कल्पना 
ये मंदिर मंदिर क्यों करना 
ये मस्जिद मस्जिद क्यों करना 

Wednesday, September 19, 2018

युद्द्ध के विरुद्ध

माना  युद्ध में  कुर्बान, वो योद्धा  भी कमाल था
वीर था, वो धीर था, मातृभूमि का लाल था !

पर युद्ध के विध्वंस से, भला कब  मिली हैं शांति
रक्त से रंगी हुयी बस हार -जीत की भ्रान्ति

युद्ध छीन लेता है, अमन, चैन और प्यार
कितनो का बचपन और कितनो का घर संसार

संस्कृति का अंत भी हो जाता है रण में
दीनता और लाचारी बस जाती हर कण में

फिर जय-विजय का सुख, भला युद्ध से ही क्यों मिले
आओ मार्ग ढूंढें वो जिससे सभी को  सुख मिले

सार्थक प्रयास हो और न कोई पश्चाताप हो
दो गज जमीन के लिए, न अब कोई रक्तपात हो

बहुत दी कुर्बानियां, बने सभी प्रबुद्ध अब
आओ मिल खड़े हो हम, युद्ध के विरुद्ध सब

जो रणक्षेत्र में गिरा , हर उस बूँद का रंग लाल था
देश पे कुर्बान वो लाल भी कमाल था 

Sunday, September 2, 2018

श्रद्धांजलि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी


कविराज आपके जाने से, भारतवर्ष शोकाकुल है !
हर एक ह्रदय व्यतिथ और, हर मन थोड़ा व्याकुल है !!


औरंगज़ेब सी राजनीति में, तुम्हीं तो एक अपवाद सा थे !
मूक-बधिर इस प्रजातंत्र में, जनमानस का संवाद भी थे !!


ये व्याप्त तुम्हारा तेज़ ही था, जिस से रौशन ये कमल खिले !
अमावस्या के अँधियारे में, तुम बन कर दीपक ज्योति जले !!


कविराज आपके जाने से, छायी घोर निराशा है !
फिर से लौट  के आना तुम ! जनमानस  को बड़ी ये आशा है!!

जिंदगी आज कल

When you live 'Future Blind' & Miss the Moment of 'Now' कभी "कहा" कभी, हम "मौन" रहे । "कल &quo...