Tuesday, July 24, 2012

माँ

जाने माँ की थपकी , किसे नेह निमंत्रण देती है 
मेरे नेत्र बंद हो जाते हैं , और नीद अलंकृत होती है 
नन्हीं आँखों के ब्रह्माण्ड में , कितने स्वपन समाहित होते हैं 
जितने नभ में तारे और , सागर में मोती बिखरे होते हैं 

भय लगता है मुझे कभी , फिर नया सबेरा होने से
आँखों के खुल जाने से और दिवा - स्वपन में खोने से
कोमल सुनहरे सपनों पर काले बादल के छाने से
मझधार में उलझी नैय्या के सागर में गोते खाने से

जब इस भय से मेरी आंखे , किंचित ही खुल जाती हैं
सपनो की सुन्दर नगरी , युही छिन्न भिन्न हो जाती है
तब माँ की ममतामयी थपकी , एक नया हौसला देती है
फिर से नेत्र बंद हो जाते हैं , फिर से नीद अलंकृत होती है !

हौसला और सफ़र


सपने ज़रूरी है , मंजिल  पाने  के  लिए
पर  सिर्फ  सपनो  से  मंजिल  नहीं  मिलती

सपने  तो  दर्द  - इ - मलहम  है
जो   दर्द  मंजिल -इ  राह   में  गिरने  से  मिलती

हौसला  ज़रूरी  है  उड़ने  के  लिए
पर  सिर्फ  हौसलों  से  उड़ान  नहीं  होती

हौसला  तो  पंखो  को  एक  सहारा  है  ग़ालिब .
वरना  पंखो  की  यहाँ  कोई  बिसात  नहीं  होती

-प्रियंका @@@@@@

पथ




हो डगर कितनी कठिन भी ,
हम नहीं घबराएंगे |
हौसला दिल में है इतना कि
आसमा छू आयेंगे ||
सीख लिया है अब हमने ,
हवा के रुख को मोड़ना |
मुश्किलों से लड़ना और ,
दिलों के तर जोड़ना ||
प्रत्यक्ष को प्रमाण की
है अब ज़रुरत आन पड़ी |
स्वयं को सिद्ध करने की,
ये इम्तिहान की घडी ||
सार्थकता ज़िन्दगी की ,
सिद्ध करने हम चले |
सैकड़ो कदम बढे ,
और राहे- मंजिले चले ||

By-प्रियंका 

Friday, July 13, 2012

अन्ना जी का अग्निपथ

कैसा आलोकिक आरम्भ हुआ ,
अति अद्भुत और प्रचंड हुआ |
जब सत्ता शासन से संघर्ष को 
सारा जन-मत एकत्र हुआ |

हिन्दू -मुस्लिम को भूल-भाल
भूख - प्यास का ना कर ख्याल |
एक नया सबेरा लाने को
सब के हाथों में जल उठी मशाल |

सत्ता को देने प्रतियूत्तर
हिंदुस्तान हुआ फिर से तत्पर |
हाथों में तिरंगा सज्जित कर
'अन्ना जी' के 'अग्निपथ' पर |

ये कैसा प्रादुर्भाव हुआ
सत्तासीनो से टकराव हुआ |
ना कोई राजा रंक भेद
भारतीयता पुनः हूई अभेद |

ना धर्म-युद्ध , ना गृह-युद्ध
ये है कर्म युद्ध, संकल्प युद्ध |
'जन-लोकपाल' सन्दर्भ युद्ध
'अन्ना जी' का 'संघर्ष' युद्ध | 

जिंदगी आज कल

When you live 'Future Blind' & Miss the Moment of 'Now' कभी "कहा" कभी, हम "मौन" रहे । "कल &quo...