Thursday, October 12, 2023

क्या याद करते हो मुझे, ज्यादा नहीं तो थोड़ा सही

कुछ तो मेरी आशिकी का, होगा असर तुम पर कहीं 
क्या याद करते हो मुझे, ज्यादा नहीं तो थोड़ा सही ।।
दिल का तेरे पता ढूंढते,  थे लाखो आशिक बाजार में 
इश्क का जलता शमा  ले,  थे हम भी खड़े कतार में ।।
नजरों से तू कर इनायत, बस इतनी ही थी जुस्तुजू
ख़्वाब भर के देखे तुझको,  इतनी सी थी बस आरजू ।।
मेरे दिल की धड़कनों को,   सुना तो होगा तुमने कभी 
क्या याद करते हो मुझे, ज्यादा नहीं तो थोड़ा सही ।।
वैसे तो तेरे महफिलों में, मेरा भी आना जाना था  
तू चाहे मुझको गैर कह, पर मैने अपना माना था ll
हाल ए दिल न कह सके, तो चल पड़े अकेले राह पर
इश्क के तिलिस्म को, यादों के धागे से बांध कर  ll
खैर छोड़ो ये बताओ ! 
पहचानो पाओगे मुझे, जो हम  फिर मिले कहीं
क्या याद करते हो मुझे, ज्यादा नहीं तो थोड़ा सही ।।


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