Thursday, September 9, 2021

samvad

ठोकर खा पथरीली राहों में,
हम बिखरे भी है, निखरे भी है 
हर ज़ख्म नहीं है ऊपरी,
कुछ घाव दिलों के गहरे भी हैं ।।
है द्वेष यहां, है वेदना,
है सत्य संग संवेदना ।
हर संबंध मतलबी नहीं इधर,
कुछ लोग, दिलों में ठहरे भी है ।।
मन हारे का अंधियारा मन में,
तो उज्वल आशा की किरणे भी है ।
अभिमान गगन सा व्याप्त यहां,
 स्वाभिमानी सागर सी लहरे भी है ।।
हम हुकुम का इक्का, ना सही,
पर, किस्मत के खेल की मुहरें तो है ।
इस माया के बाज़ार में,
 कितनी बार बिके भी हैं।
संबंधों के मान के खातिर,
 कई कई बार झुके भी हैं ।।
दिल चाहे तोड़ना हर बंदिश ,
पर अपनों के कुछ पहरे भी हैं।।
ठोकर खा पथरीली राहों में,
हम बिखरे भी है, निखरे भी है 
हर ज़ख्म नहीं है ऊपरी,
कुछ घाव दिलों के गहरे भी हैं ।।

relationship with time

Relationship with time 😔

मैंने जितना, तुमपे गौर किया
तूने उतना मुझे इग्नोर किया ।
मैं कहती रही, कुछ मेरी भी सुनो
पर तुमने सदा कुछ और किया ।।
तुम ऑसम मौसम जैसे थे 
अब ठंडी बर्फ का गोला हो ।
तुम मधुर शहद से मीठे थे
अब चलता फिरता शोला हो ।।
तब सूर्यमुखी, अब ज्वालामुखी
इतना परिवर्तन  कैसे आया।
तब शीतल छाया तरुवर की 
अब शनि जैसी काली काया ।।
तुम टाटा स्काय का बंडल थे
अब श्वेत श्याम दूरदर्शन से ।
तब बातें फैशन टीवी सी
अब प्रवचन आस्था चैनल से ।।
कभी कटरीना, तुम कहते थे
अब काली माता कहते हो ।
कभी प्रेम की धुन में रमते थे 
अब अपने धुन में रहते हो ।।
जी करता है तुम्हे छोड़ दूं अब
सारे रिश्ते नाते, तोड़ लूं अब ।
पर दिल की अपनी मजबूरी है 
तेरा होना , भी साथ जरूरी है  ।।

जिंदगी आज कल

When you live 'Future Blind' & Miss the Moment of 'Now' कभी "कहा" कभी, हम "मौन" रहे । "कल &quo...