Tuesday, December 1, 2020

प्रताप तुम्हे आना होगा।


सुनो प्रताप, तुम्हे आना होगा 
भाला पुनः  चलाना होगा ।।

जब सब के सब तेरे  वंशज l
फिर क्यूं ये दुविधा असमंजस ।।
छप्पन भोग, सब सुख नसीब 
जहाँ दो दाने को तरसे गरीब 

ये भेद अमीरी गरीबी का 
अब तुमको ही मिटाना होगा ।
सुनो प्रताप, तुम्हे आना होगा 
भाला  पुनः चलाना होगा ।।

हर दिशा अटी दुशासन से ।
सब त्रस्त धृतराष्ट्र प्रशासन से ।।
यहां क्या मांएं क्या बेटियां ।
सब भरी सभा की द्रौपदीयां ।।

आर्यावर्त के मां बहनों की 
अब लाज तुम्हे बचाना होगा ।
सुनो प्रताप तुम्हे आना होगा 
भाला  पुनः चलाना होगा ।।

हे जयवंता के लाल सुनो ।
एक कुरुक्षेत्र, तुम भी चुनो ।।
जहां पार्थ कर्ण का भेद ना हो ।
विश्वास रहे, संदेह न हो ।।
जहां पाप पुण्य सब अंत हो।
बस एकम  भाव अनंत हो ।।

अमन प्रेम रौशन दिया  
अब तुमको ही जलाना होगा ।
सुनो प्रताप तुम्हे आना होगा 
भाला  पुनः चलाना होगा ।।

No comments:

Post a Comment

जिंदगी आज कल

When you live 'Future Blind' & Miss the Moment of 'Now' कभी "कहा" कभी, हम "मौन" रहे । "कल &quo...