Wednesday, September 27, 2017

तुम

मेरी प्रेम कहानी का, एक हिस्सा  हो तुम |
जो कभी ख़त्म न हो, ऐसा किस्सा हो तुम |

मेरी  फरियाद में शामिल,  एक गुजारिश हो तुम |
तपती गर्मी के बाद ,वाली बारिश हो तुम |

जो कानो में रस घोले, वो मधुर संगीत हो तुम |
जिसे हर लफ्ज़ गुनगुनाये, वो जीवन- गीत हो तुम |

गिर कर उठना  जो सिखला दे, वो विश्वास हो तुम |
चाँद से मिलने को निकली, चकोर की आस हो तुम |

धुंध में निकली नरम धूप  सा एहसास हो तुम |
मिले हज़ार राही, राहों में, पर सबसे ख़ास हो तुम |

Tuesday, September 26, 2017

लम्हा

वो एक उलझी पहेली था   ,
जिसे हम सुलझा, नहीं पाए |
मोहब्बत हमने  भी की थी ,
पर उसे कभी बतला नहीं पाए |
दिलों  के द्वन्द की बाजी ,
न वो जीता न मैं हारी |
बस जुबा की ख़ामोशी पड़ गई ,
दिलों के शोर पर भारी |
वो मधुर एहसास  जिन्दा है,
की अब तक सांस नहीं छूटी |
वो  किसी मोड़ पर  मिल जाये
ये  दिल की आस नहीं टूटी || 

जिंदगी आज कल

When you live 'Future Blind' & Miss the Moment of 'Now' कभी "कहा" कभी, हम "मौन" रहे । "कल &quo...