रंग हरा क्या होता है, चिड़िया ने पूछा माली से
माँ कहती है, घर था अपना, हरे पेड़ के डाली पे
हरे पेड़ थे यहीं कहीं, बसा हुआ अब यहाँ शहर
काट-छांट सब पेड़ो को, हमको कर घर से बेघर
कैसी होती थी नदियां, कैसे बहता था निर्मल पानी
कैसा था जंगल का राजा कैसी थी वन की रानी
कहाँ गए सब वन-उपवन, कहाँ गए सब वन के वासी
क्यूँ... सूख गयी नदियां, क्यूँ.. धरती रह गयी प्यासी
कैसी होती बारिश की बूंदे, कितनी शीतल तरूवर छाया
मृगतृष्णा के मोह में फंसकर, क्यों मानव इतना भरमाया
सूखे का सृजन हुआ कैसे, मन क्यों उकताया हरियाली से
रंग हरा क्या होता है, चिड़िया ने पूछा माली से
माँ कहती है, घर था अपना, हरे पेड़ के डाली पे
हरे पेड़ थे यहीं कहीं, बसा हुआ अब यहाँ शहर
काट-छांट सब पेड़ो को, हमको कर घर से बेघर
कैसी होती थी नदियां, कैसे बहता था निर्मल पानी
कैसा था जंगल का राजा कैसी थी वन की रानी
कहाँ गए सब वन-उपवन, कहाँ गए सब वन के वासी
क्यूँ... सूख गयी नदियां, क्यूँ.. धरती रह गयी प्यासी
कैसी होती बारिश की बूंदे, कितनी शीतल तरूवर छाया
मृगतृष्णा के मोह में फंसकर, क्यों मानव इतना भरमाया
सूखे का सृजन हुआ कैसे, मन क्यों उकताया हरियाली से
रंग हरा क्या होता है, चिड़िया ने पूछा माली से