डॉ कलाम तुमको सलाम !
आज पवित्र 'अग्नि की उड़ान' हो गयी
प्रखर ज्योतिर्पुंज की लौ बुझ गयी
नम नयनो से नमन है उस उम्मीद-किरण को
उस ज्ञानी श्रेष्ठ को , स्वाभिमानी संत को
आंधी और तूफान में भी जगमगाते रहे ऐसे
वो एक घृत का दिया नहीं , मशाल हो कोई जैसे
देशवाशियों को वो शांति -प्रेम- ज्ञान का नारा दे गया
जमीं से जुड़ा इन्सां, आज आसमा का सितारा बन गया